गुरु नानक गुरुपर्व गुरु नानक साहिब जी के जन्मदिन के उपलक्ष पर मनाया जाता है। गुरु नानक जी सिखों के प्रथम गुरु थे और लंगर की प्रथा उन्होंने ही शुरू की थी।
गुरु नानक साहिब जी सभी धर्म के गुरु हैं, मुस्लिम धर्म में गुरु नानक को नानक पीर कहा जाता है तथा सिख धर्म में गुरु नानक देव जी कहा जाता है।
इन्होंने कुछ 100 साल पहले ₹20 में लंगर चलाया था। यह प्रथा आज भी हमारे देश में बरकरार है और रोज गुरुद्वारे में लंगर करवाया जाता है।
गुरु नानक सिंह जी का जन्म वर्ष 1469 में कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन तलवंडी नामक गांव में हुआ था, जिसे आज ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है।
Guru Nanak Sahib Ji के पिता का नाम मेहता कालू रॉय था जो कि तलवंडी में एक सरकारी कर्मचारी थे, उनकी माता का नाम त्रुप्ता देवी था तथा उनकी एक बहन थी जिनका नाम ननकी था।
16 वर्ष की आयु में गुरु नानक जी का विवाह सुलखनी नाम की कन्या के साथ हुआ आगे जाकर उन्हें दो पुत्र हुए श्रीचंद और लखमी दास।
गुरु नानक साहिब को अलग-अलग देशों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है, जैसे: श्रीलंका में गुरु नानक साहिब जी को नानक आचार्य के नाम से जाना जाता है, नेपाल में नानक ऋषि और तिब्बत में नानक लामा आदि। गुरु नानक साहिब जी ने 4 यात्राएं की थी ये यात्राएं भारत, अफगानिस्तान, ईरान, अरेबिक नेशंस में की गई थी जिसे उदासी (Udasi) के नाम से जाना जाता है।
गुरु नानक जयंती 2022 | Guru Nanak Jayanti 2022
Guru Nanak Sahib जी के जीवन की कुछ खास बातें:
- गुरु नानक साहिब बचपन से ही अलग सोच रखते थे। 7 वर्ष की आयु में उनके पिता ने उन्हें पाठशाला भेजा, बचपन में जब गुरु नानक साहिब जी को उनके धर्म के अनुसार एक पवित्र धागा बांधा जा रहा था तब गुरु नानक साहिब जी ने कहा कि उन्हें केवल ऐसा धागा बांधा जाए जो सभी धर्मों के अनुरूप हो गुरु नानक साहिब जी की इस बात को सुनकर वहां के सभी लोग हैरान हो गए थे।
- गुरु नानक साहिब जी का मानना था कि ईश्वर सभी जगह है ईश्वर की प्राप्ति केवल गुरुद्वारे या तीर्थ स्थलों में नहीं होती ईश्वर की प्राप्ति लोगों की सहायता करने से होती है।
- एक बार जब गुरु नानक जी के पिताजी ने उन्हें कुछ रुपए दिए तो उन्होंने उन रुपयों का उपयोग अपने लिए ना करते हुए उससे भूखे लोगों को लंगर करवाया। उस लंगर में किसी भी प्रकार का मतभेद नहीं किया गया। तब से लेकर यह प्रथा आज भी सिख धर्म द्वारा अपनाई जाती है।
गुरु नानक जी की इन्ही खासियतों एक वजह से वे विश्व भर में प्रसिद्ध हुए और आज भी लोग उनकी जयंती मनाते हैं।
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